एक ख़त जिंदगी के नाम
एक ख़त जिंदगी के नाम
ए जिंदगी, आजकल तु बहुत लंबी लगने लगी है
तेरी बेवजह नाराज़गी अब मुझे ख़लने लगी है।
कहीं किसी मोड पर, कभी तो साथ देती तु,
अब तो तेरी परछाई भी हम से मुँह मोड़ ने लगी है।
रूठा ना कर अब तु मुझसे यूं बार-बार
अब मनाने की कोशिश नहीं करूंगी तुझे हर बार
ख्वाहिशें मेरी भी पहले से अब संभलने लगी है
ए जिंदगी आजकल तू बहोत लंबी लगने लगी है
कुछ वक्त, कुछ लम्हें मुझे भी खुशी के दे देती कभी
मैंने कब सारी कायनात मांग ली तुझसे कभी
कुछ पुरानी यादें भी अब दिल टटोलने लगी है
ए जिंदगी आजकल तू बहोत लंबी लगने लगी है
वक्त का तकाजा़ कुछ इस कदर छाया है
कि तूने अपना ही फैसला मुझे सुनाया है
आदतें तेरी ये अब मुझे भी समझने लगी है
ए जिंदगी आज कल तू बहुत लंबी लगने लगी हैं।