कर्म प्रकाश
कर्म प्रकाश
रचो इतिहास इस युग में,
ये युग फूलों सा खिल जाये।
करो न काम नफरत के,
शरम से नाक कट जाये।
करो शुभ कर्म साहस के,
कर्म आदर्श वन जाये।
जलो न और के ऊपर,
जिंदगी नर्क वन जाये।
जलो दीपक रवि जैसे,
अंधेरा साफ हो जाये।
विजय मन पर करो अपनी,
सूर्य सा तेज आ जाये।
करो रोशन जमाने को,
निगाहें रश्मि वन जाये।
करो चेतन अचेतन को,
शवों में जान आ जाये।
गिरी वेहोंश दुनियां को,
स्वयं का होश आ जाये।
वनें श्रीराम गौतम से,
ये दुनियां फिर महक जाये।
कहे "सियाराम"निज मन से,
जहर अमृत ही वन जाये।।