क्रिमिनल हैं ये
क्रिमिनल हैं ये
कलम के वास्ते तन्हाइयां अच्छी थीं
नज़्म के वास्ते उदासियाँ अच्छी थीं।
इक शायर के वास्ते वो दर्द अच्छे थे
कहने को ग़म की परछाइयां अच्छी थीं।
मगर....!
एक हंसती-गाती ज़िन्दगी का क़त्ल हुआ जैसे
शायरी की जान हैं ये, मगर सच मे हत्यारे हैं !