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Zahiruddin Sahil

Abstract

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Zahiruddin Sahil

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क्रिमिनल हैं ये

क्रिमिनल हैं ये

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कलम के वास्ते तन्हाइयां अच्छी थीं

नज़्म के वास्ते उदासियाँ अच्छी थीं।


इक शायर के वास्ते वो दर्द अच्छे थे

कहने को ग़म की परछाइयां अच्छी थीं।


मगर....!

एक हंसती-गाती ज़िन्दगी का क़त्ल हुआ जैसे

शायरी की जान हैं ये, मगर सच मे हत्यारे हैं !


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