क्रांति-संदेश
क्रांति-संदेश
आज़ादी बलिदान मांगती क्रांति प्रेमियों
बुला रही आज़ाद हिंद तुम्हे क्रांति प्रेमियों।।
आज़ादी का बिगुल बजा दो जन-जन में।
भारतमाता सिसक रही है क्रांति प्रेमियों।।
तुम खून मुझे दो "मैं तुमको आज़ादी दूंगा।
"मेरा यह संकल्प है तुम से क्रांति प्रेमियों।।
देश- विदेश की खाक छाननी क्यों न पड़े।
एक दिवस फहरेगा तिरंगा क्रांति प्रेमियों।।
कब तक बकरे की मां खैर मनाएगी।
सिंह भारतीय गरज रहे हैं क्रांति प्रेमियों।।
बापू ने भी अलख जगा दी "भारत छोड़ो"।
अंग्रेजों को सबक सिखा दो क्रांति प्रेमियों।।
स्वर्णिम अवसर बार -बार नहीं आने वाला।
एक नया इतिहास बना दो क्रांति प्रेमियों।।