कोमार्य झिल्लियां
कोमार्य झिल्लियां
पवित्रता की अग्नि-परीक्षाऐं, मिथिहासिक बातें नहीं,
आज भी कसौटी पर परखी जाती हैं कौमार्य झिल्लियां।
इन दिनों भी पत्नी पद की उम्मीदवारी के लिए,
अनिवार्य योग्यता होती है, ये कौमार्य-झिल्लियां,
किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाने को,
परीक्षार्थी को कसौटी पर पूरा उतरने को,
कुकुरमुत्तो सी उग आई कोचिंग क्लासेज़ की भांति,
भावी पत्नियों को पवित्रता की कसौटी पर दक्ष करने को,
कास्मैटोलॉजी भी,
हायमेनोपलास्टी से दुरूस्त करने आई कौमार्य झिल्लियां।
थोड़े से बहते खून और जरा सी उधड़ी चमड़ी से
पुरूष के दंभ को पोषित करने आईं हैं,
ये कृत्रिम कौमार्य झिल्लियां,
आधुनिक लिबास में भी मध्य-युगीन बर्बरता का प्रतीक बन आई हैं,
ये कृत्रिम कौमार्य झिल्लियां,
बंद कमरे में चुपचाप पैदा होकर भी, भयावह अट्टाह्वास करती हैं,
ये कृत्रिम कौमार्य झिल्लियां,
अतिआधुनिकता में भी प्राचीन पाश्विकता का एहसास करवाती हैं
ये कृत्रिम कौमार्य झिल्लियां।