STORYMIRROR

KAVY KUSUM SAHITYA

Abstract

4  

KAVY KUSUM SAHITYA

Abstract

कमसिन

कमसिन

1 min
24.1K

ख्वाब में आती नाज़ुक पंखुड़ी गुलाब सी कली कचनार सी  

ख्वाबों कि हकीकत की चाह उम्र गुजरी टुटा ख्वाब      

नींद से जागे ख्वाब की हकीकत आम हुयी            

जिंदगी कि चाहते यकीं दिल के नाम हुई               


गिला शिकवा नही जिंदगी के इंतज़ार का

मुहब्बत कि मल्लिका जिंदगी के नाम हुई       

कभी तमन्नाओ कि तरन्नुम जिंदगी के

मोशिकी का तराना सुबह शाम हुई                


बारिश में भीगा वदन सांसों को

गर्मी जिंदगी साँसों धड़कन में आम हुई             

कभी खुदा से दुआ मांगता ख्वाब

तन्हाइयों कि हसरत की मुराद   


खुदा की इनायत कि इबादत

इश्क जश्ने जिंदगी के साथ हुई

मेरी जिंदगी का जूनून मेरी जूनून

का सुरूर मेरे पैमाने का मैख़ाना


लम्हा लम्हा नशा नशे मन नसीब का जाम हुई          

कुदरत का करिश्मा है या मेरी

मुहब्बत का एकबाले गुरुर     

जिंदगी कि ख्वाहिशें तमाम जन्नत

का जज्बा जज्बात हुई

कजरारे नैन पलकों का शामियाना

मुहब्बत का घरौंदा गुलशन गुलजार हुई             


जेठ कि दोपहरी में नंगे पाँव

आना इंतज़ार के लम्हों में चेहरे को दोपट्टे

छुपाकर मुस्कुराना जिंदगी कि खुशिया ख़ास हुई     

बेवफा इस जमाने में वफाई का वजूद वज्म

कि नज्म गीत ग़ज़ल आरजू मन्नतों का इनाम हुई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract