कलम की ताकत
कलम की ताकत
कभी कलम लोचन में लोगों के अंगार दिखाती है
कभी क्रोध की प्रतिमूर्ति को करना प्यार सिखाती है।
कभी कलम ममता लिखती है, कभी बहन भाई का प्यार
कभी शोषितों के सीने में दबा क्रोध का अगणित ज्वार।
कलम की ही ताकत है जो डाकू को पूज्य बनाती है
वाल्मीकि की लिखी रामायण आज भी दुनिया गाती है।
"अभि" देश के हर प्राणी को कोई कलम जगाती है
और सड़क से उठा किसी को नायक यही बनाती है।
एक निवेदन मेरा सुन लें, जो भी हैं भाई कलमकार
कलम को अपनी कलम ना समझें, कलम हमारी है तलवार।
यदि सच लिखने की हिम्मत हो तो युग परिवर्तन हो सकता है
और पराभव की पीड़ा का अनुवर्तन हो सकता है।
अगर राष्ट्र का नायक आँख मूंदकर सोता हो
जननायक की कायरता पर देश समूचा रोता हो।
अपने घर के गद्दारों से भेद शत्रु तक जाते हों
अरि के दल जब देश की सीमा में घुसकर बढ़ आते हों।
या कि निरंकुश हो राजा और राष्ट्रद्रोहियों का पालक हो
देश अहित की हर एक नीति का खुद ही वो संचालक हो।
तब सत्ताधीश पर वार करे, किसकी भला हिमाकत है
गद्दारों को गद्दार लिखे, ये सिर्फ कलम की ताकत है।