STORYMIRROR

Abhijit Tripathi

Abstract

4  

Abhijit Tripathi

Abstract

कलम की ताकत

कलम की ताकत

1 min
416

कभी कलम लोचन में लोगों के अंगार दिखाती है

कभी क्रोध की प्रतिमूर्ति को करना प्यार सिखाती है।


कभी कलम ममता लिखती है, कभी बहन भाई का प्यार

कभी शोषितों के सीने में दबा क्रोध का अगणित ज्वार।

कलम की ही ताकत है जो डाकू को पूज्य बनाती है

वाल्मीकि की लिखी रामायण आज भी दुनिया गाती है।


"अभि" देश के हर प्राणी को कोई कलम जगाती है

और सड़क से उठा किसी को नायक यही बनाती है।

एक निवेदन मेरा सुन लें, जो भी हैं भाई कलमकार

कलम को अपनी कलम ना समझें, कलम हमारी है तलवार।


यदि सच लिखने की हिम्मत हो तो युग परिवर्तन हो सकता है

और पराभव की पीड़ा का अनुवर्तन हो सकता है।

अगर राष्ट्र का नायक आँख मूंदकर सोता हो

जननायक की कायरता पर देश समूचा रोता हो।


अपने घर के गद्दारों से भेद शत्रु तक जाते हों

अरि के दल जब देश की सीमा में घुसकर बढ़ आते हों।

या कि निरंकुश हो राजा और राष्ट्रद्रोहियों का पालक हो

देश अहित की हर एक नीति का खुद ही वो संचालक हो।


तब सत्ताधीश पर वार करे, किसकी भला हिमाकत है

गद्दारों को गद्दार लिखे, ये सिर्फ कलम की ताकत है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract