STORYMIRROR

Prabhavna Jain

Abstract

3  

Prabhavna Jain

Abstract

कलम छबीली

कलम छबीली

1 min
199

कलम छबीली

लेखिका कलम से

तू तो है कलम छबीली

और में नौसिखिया अलबेली

कहने को तो बहुत है साथी

पर शब्द अभी अठकेले हैं।


मन करता है हर बात को भर दूँ

मन में उमड़े सैलाब को घर दूँ

चाहत की हर सांस हंसी है

कहने को हर बात नई है।


मन पंछी तू सांझ है इसकी

दिल धड़के आवाज तू इसकी

लब्ज मेरे तू शान है इनकी ।

मेरे ऐहसासों की पहचान सी दिखती

ए मेरी प्यारी सी सहेली

तू तो है कलम छबीली

और में नौसिखिया अलबेली।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Prabhavna Jain

Similar hindi poem from Abstract