कला की पहचान
कला की पहचान
सब कला सीखने को आतुर थे
कोई भावी अभिनेता था, किसी के पक्के सुर थे
हमने सोचा हम क्यों कला से दूर थे
इच्छा हुई कोई कला सीखूं
पहले सोचा एक कहानी लिखता हूं
अब हम जब तक कहानी गढ़ते
मां ने खाने को बुला लिया, नहीं जाते तो थप्पर खाते
फिर सोचा खेल-कूद पर ध्यान दिया जाए
आलस्य के पिशाच ने ऐसे पैर पकड़े कि चला ही न जाए
इस उधेड़बुन में सोचा कि कुछ समय दोस्तों के साथ बिताएं
कला के कुछ क्षेत्रों का ज्ञान उनसे भी पाएं
बातचीत के दौरान अपना लिखा एक चुटकुला उन्हें सुनाया
'तू बड़ा मजेदार है'- कहकर वे मुस्कराए
उनकी मुस्कान ने मुझे अपनी कला का क्षेत्र बताया
मेरे पास भी एक दुर्लभ कला है-यह सोच मैं हर्षाया
जो मैं कर सकता हूं,
वह बहुत सारे लोग नहीं कर सकते- यह मैंने पाया
हंसी की कमी से जूझ रहा आज यह जहां
दूसरों को हंसाने में जो आनंद है, वह आज और कहां
दूसरों को हंसाने में जो आनंद है, वह आज और कहां।
