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VRUSHTI ZAVERI

Abstract

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VRUSHTI ZAVERI

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कितनी खास है ये अपनी यारी

कितनी खास है ये अपनी यारी

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आओ सुनाती हूं मेरे मुंह की ज़ुबानी,

मेरे दिल के संदूकों में छुपी,

मेरे दोस्तो और उनके किस्सों से बनी एक अनोखी कहानी।


वो छोटे से किस्से और वो कभी ना ख़तम होने वाली बातें,

वो प्यारी सी गालियां और वो गाल सुजा ने वाली थप्पड़,

मेरे दोस्त ! कितनी खास है ये अपनी यारी।


वो छोटी छोटी बातो में खुशियां ढूंढना ,

यूं ही यू एक दूसरे से झगड़ना ,

और फिर एक दूसरे के लिए ज़माने से लड़ जाने की बातें करना,

मेरे दोस्त ! कितनी खास है ये अपनी यारी।


हमेशा एक दूसरे की टांग खींच ना ,

पर कभी तीसरे के आ जाने से ,

साथ हाथ मिलाकर उसपर चढ़ जाना,

 मेरे दोस्त ! कितनी खास है ये अपनी यारी।


वो चाय की केतली पर ,

हर रोज एक दूसरे

का इंतजार करना ,

और फिर लेट आने पर चाय के साथ समोसा की पार्टी पनिसमेंट देना,

मेरे दोस्त ! कितनी खास है ये अपनी यारी।


अपने दोस्त के मां पापा को खुद का समझकर ,

साथ मिलकर डांट खाना ,

और फिर घर से बाहर निकलकर ,

बेशर्मो की तरह हंसना,

मेरे दोस्त ! कितनी खास है ये अपनी यारी।

न जाने कितने छोटे से पल हैं,

और वो अनगिनत लम्हे को,

बेस्ट मेमोरीज फोरेवर का किताब देना है,

फिर उन साब यादों को दिल के स्पेशल फोल्डर में,

फ्रेंड्स फोरेवर नाम से संजोना है,

और फिर याद आने पर ,

मुंह का ताला तोड़कर खुलकर मुस्कुराना ,

मेरे दोस्त ! कितनी खास है ये अपनी यारी।


          



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