STORYMIRROR

Dr. Akansha Rupa chachra

Abstract

3  

Dr. Akansha Rupa chachra

Abstract

किरदार

किरदार

1 min
178

उलझनों भरी जिंदगी तेरे रूप निराले हैं

कई रिश्तो की बंदिशे,  किरदार निभाने हैं

कभी बचपन ने रोका

कही अपनो ने टोका

चलते-चलते रूक कर खामोशी से

कुछ अहसास दबाने हैं

कितने रिश्तों मे हमे किरदार निभाने हैं

लहू के रिश्ते फीके पडते दिखाई दिये

दिल के रिश्तो मे क्यो फरेब दिखाई दिये

जो हम जीना चाहते थे

उसमे दुनिया वालो को दोष दिखाई दिये

थक कर हम हार गये

यादो की धुंधली चादर मे ऑंसूओ की आहट से

हमे कुछ कर्ज चुकाने हैं ।

दुनिया ने नाम दिया , हमने उन किरदारो मे खुद को भी ढाल दिया

पाँवो की बेडी को रिश्तो मे बाँध दिया

फर्जो के मुहाने पर अरमान दफनाने हैं ।

प्यार गुनाह हैं गर इसे दिल मे दबा करके

आँखों मे नमी लेकर ,लबों पर फीकी सी हँसी लेकर

रिश्ते निभाने हैं

माँ का किरदार,  खूब निभाया  हमने बच्चों की देखभाल , खुशी का ख्याल रख 

पत्नी बन कर घर रोशन किया

याद नही घर मे किसी को

रिश्तो मे ख्वाहिशे की तिलांजली देकर

सबके सपनो के महल सजाये हैं

किरदार निभाने मे

हमने इच्छा ओ का गला घोंट दिया

उसूलो की सूली पर चढ कर 

कभी हँस कर कभी आँसू पी पी कर किरदार निभाये हैं ।

जिंदगी की पढते पढते अलहड कली से समझदारी 

के हर किरदार निभाने मे हमने दिल के टुकड़े  

उठाये हैं ।

कितने दर्द छुपाये भी हम सदा ही

मुस्काये

किरदार ...... जिंदगी की किताब का

हर पन्ना पढ हमने विश्वास की अनमोल 

भूमिका हैं

रह जाए तो अटूट बंधन 

टूटा तो काँच की तरह चुभन......



రచనకు రేటింగ్ ఇవ్వండి
లాగిన్

Similar hindi poem from Abstract