की कसूर तेरे नहीं मेरा था
की कसूर तेरे नहीं मेरा था
की कसूर तेरे नहीं मेरा था
अंकित जिसको चाहे
दुनिया उसको पसंद करें
ऐसा हो ही नहीं सकता था
की मुझे एक तू ही पसंद था
तेरी सादगी ने दिल छू लिया था
तुझ जैसा मैंने कभी देखा नहीं था
मैं तो बस तेरे दर पर आया था
सुना था जिंदगी बहुत हसीन है
बस वो ही देखने चला आया था
सिर्फ एक तू ही मेरा था
की कसूर तेरा नहीं मेरा था।