ख्वाईश चांद सी
ख्वाईश चांद सी
फलक से मेरा चांद मुझको निहार रहा होगा
चांदनी समझ बैठे उस दिल को वो समझा रहा होगा
ख्यालों ख्यालों में ही उसको इक ख्याल आया होगा
मोम की तरह खुद को उसने पिघलाया होगा
बिखरी जुल्फों में खुद को उसने खोया होगा
चांदनी से मिलने आज ओ फलक से तो आया ही होगा
मेरे चांद को उसका चेहरा आज नजर आया होगा
मेरा चांद मुझको आज निहार रहा होगा
बिखरी जुल्फों में खुदको उसने खोया होगा
पलकों को झुकाकर तो ओ शरमाया भी होगा।

