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Shikha Nigam

Romance

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Shikha Nigam

Romance

खूबसूरत सौगात

खूबसूरत सौगात

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किसी ने मुझसे एक नज़्म मांगी है,

एक खूबसूरत लड़की पर कविता मांगी है।


कौन से अलफाज़ लिखूं ,कौन से हर्फ चुनूं

कैसे बयाँ करूँ एक खूबरो।


लिख दूँ कि जैसे चेहरा हो आफताब किसी सेहर का, 

फैला हो उस पर नूर किसी नादान पंछी सा। 


कजली आँखें जैसे लिहाज़ का आबशार ,

कुछ ख्वाबीदीदा और थोड़ा सा इज़्तिरार।


किसी ज़ेवर सी उसकी मुस्कुराहट,

जो मुस्कुरा दे तो बरसे इनायत ।


शहद सी उसकी आवाज़, 

उसके हर अलफाज़ से छलके मिठास ।


नाज़ुक अनदाम नज़ाकत से भरा,

काली जुल्फें और हो रंग सुनहरा ।


किसी ने मुझसे एक नज़्म मांगी है, 

एक खूबसूरत लड़की पर कविता मांगी है।


पूछूँमैं तुमसे क्या उसमें इतनी खुबियाँ काफी हैं। 


मेरी मानो तो ये सब है एक सराब, 

जैसे कोई भूला बिसरा ख्वाब।


किसी के दिखावे पर कायल ना हो,

हो तो उसकी रूहानियत पर ,

उसके पाक दिल पर।


फिर एहतियाज़ ना होगी तुम्हें मेरी नज़्म की ,

कयोंकि फिर तुम्हें चाह होगी उसकी कुरबत की।


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