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anamika khanna

Abstract

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anamika khanna

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खुशियां !

खुशियां !

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ढल जाएगी गम की यह काली रात

 हर तरफ होगी खुशियों की बरसात

 खुल के जीने की आस में

 हर दिन किए जा रहे फरियाद,


 छठ जाएंगे गम के काले बादल

फिर होगी खुशियों की बरसात

 जीने लगेंगे हम पुरानी जिंदगी

 ना रुकने की तमन्ना ना

ठहरने की मशक्कत,


हर दिन नई आशाएं

और जीने की तमन्ना

बिना डर के बच्चों

का खेलना कूदना


हर पल नई आशाएं और  

ना डर रहे किसी का

हर तरफ खुशियों का बसेरा !


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