खुशी के गीत
खुशी के गीत
कठिन वर्तमान दौर है,
राहें हो गयी हैं मुश्किल
घर ही अभी ठौर है,
पर मन बेचैन क्यों ?
बन्द काम-काज,
बन्द दुकान-बाज़ार
मन्द रफ्तार दुनिया की
मन्द पड़ रही धड़कन क्यों ?
माना लॉकडाउन है,
पड़ी वाइरस की बुरी मार है
माना अनिश्चित लग रहा भविष्य
पर मन हो रहा अस्थिर क्यों ?
सुना है हँस कर पार करते रहे हैं
साहसी जन हर दुर्गम पथ को
भर सीने में हवा मजबूत इरादों की
पाते रहे हैं निजात हर कष्ट से
आओ साथ मिल हम सब
मुस्कुराएँ, हँसें-खिलखिलाएँ
बदल दें नियति अपनी
गुनगुनाएँ, खुशी के गीत गाएँ।
