खुद सा मैं
खुद सा मैं
तेरी देखा देखी देखो,
घर मैंने भी छोड़ दिया,
सांसारिक रिश्ते नातों को,
पल भर में ही तोड़ दिया,
सबका हँसता गाता जीवन,
क्षणिक दुखों को मोड़ दिया,
जो तूने ओढ़ा था,
मैंने वैसा चोला ओढ़ लिया,
रात दिवस अब मैं जागूँगा,
और ज्ञान बहुत सा पाऊँगा,
कष्ट हारूँगा दुनिया के,
फिर तुझसा हो जाऊँगा,
संशय केवन इतना भर है,
ईश पाठ पर आगे बढ़ने में,
तुझ जैसा गर न बन पाया,
क्या खुद सा रह पाऊँगा।
