खुद को तलाशती : नारी
खुद को तलाशती : नारी
रेगिस्तान-से वीरान मकान को
प्रेम और अपनेपन के जल से
घर बनाती है एक नारी!!
जैसे जल में रंग मिले
वैसे ही
हर रंग में रंग जाती हैं एक नारी!!
लाल रंग से पिया रंग में रंगी,
शर्मो- हया से हो जाती गुलाबी
घर को रखे हरा-भरा
महकाए बच्चो कि फुलवारी!!
बाधाएं हो चाहे हो चट्टानें,
चाहे कोई मुसीबत आए,
बहती नदियां -सी बहती जाए
हौसलों से भरी रहती एक नारी!!
फिर भी इसकी कदर ना जानी,
सबके लिए ये रही अनजानी,
अपना सब न्योछावर करके भी
अपना अस्तित्व तलाशती
एक नारी !
खुद को तलाशती एक नारी !