कहना ही क्या
कहना ही क्या
क्या सितारों ने कहा था
या क्या चांद ने कहा था,
मुझसे ये आशिक़ी,
ये दिल्लगी लगाने को
क्या मैंने कहा था।
क्या हवाओं ने कहा था या
क्या वादियों ने कहा था,
मेरी ओर चलने को,
मुझमें खोने को क्या मैंने कहा था।
क्या सूरज ने कहा था या
क्या बारिशों ने कहा था,
मुझमें जलने को, मेरे संग
भीगने को क्या मैंने कहा था।
कहा तो मैंने कुछ भी नहीं था,
ये सब तुमने मान लिया,
बस मांगा ही तो था तुम्हें,
ये तुमने जान लिया।