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Shivam Antapuriya

Abstract

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Shivam Antapuriya

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खिल गए

खिल गए

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कुछ पल बीते 

कुछ लब बीते 

बीत गई अब 

वो सारी जीतें


बीती रात आज 

फ़िर वो थी 

खिल गए वो 

जैसे कमल दल थे 


उनके भी चेहरे 

आ खिल गए 

जिनके माथे पर 

बनी सिलवटें थी 


खुशहाल माहौल 

था जब घर में 

तब उसने दस्तक दी 

स्वागत के खातिर 

उसके न्योछावर सारे 

कमल दल थे।


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