खेल
खेल
जीवन भी एक खेल है
इसमें भी उतार चढाव आते हैं
कभी लगता है कि जीत रहे हैं
और कभी कभी हार जाते हैं।
यहां पर बॉल की जगह
भावनाओं से खेला जाता है
दिल को एक बॉल समझ कर
इधर उधर फेंक दिया जाता है
कुछ लोग बदन को ही खेल समझ
उससे ही खेलने लगते हैं
जब जी चाहा मसला, रौंदा
जब जी चाहा नोंचने लगते हैं
कुछ लोगों के लिए
इंसान ही खेल का सामान है
गर्दन से मुंडी उड़ाकर
जेहादी नारे लगाकर चलते सीना तान हैं
किसी को बम फोड़ना खेल लगता है
कोई सरेआम ऐ के 47 दनदनाता है
कोई आत्मघाती हमलावर बनकर
सैकड़ों की जिंदगी से खेल जाता है।
आजकल अफगानिस्तान में भी
बर्बरता का खेल मैदान बनाया जा रहा है
महिलाओं, वृद्धों, बच्चों सहित सब पर
तालीबानी कहर बरपाया जा रहा है
कुछ लोग किसानों का चोला ओढ़कर
अपनी राजनीति का खेल खेल रहे हैं
सड़कें जाम कर, संपत्ति का नुक़सान कर
अराजकता की नाव पर ताल ठोक रहे हैं
खेल अगर खेलने ही हैं
तो मानवता के खेल खेलो
भूखे को भोजन, प्यासे को पानी
हर व्यक्ति से मीठे बोल बोलो।
यह जीवन बार बार नहीं मिलता है
जब मिला है तो नेक काम कीजिए
भूले से भी किसी का दिल ना दुखे
बस, ऐसा व्यवहार और आचरण कीजिए।