ख़ौफ
ख़ौफ
कौआ कान ले गया, ऐसी उड़ी खबर
खौफ में जी रहा सारा शहर
यहाँ सब ठीक है
पर कहीं कुछ हो गया है
डरा हुआ आदमी
हिंसक हो गया है
अनजाने लोग, अनहोनी का डर
खौफ में जी रहा सारा शहर
बेज़ुबान लोग
आज भीड़ बन गए
हैवानियत की
ज़िंदा तस्वीर बन गए
बरपा है हमपर, ये कैसा कहर
खौफ में जी रहा सारा शहर
कैसी खबरें आ रहीं
मन बड़ा बेचैन है
हर इक आहट पर
चौंकते ये नैन हैं
हवा में फैला, ये कैसा ज़हर
खौफ में जी रहा सारा शहर
लोग भोले हैं
कुछ भी मान लेते हैं
उड़ती बातों पर
ज्यादा ध्यान देते हैं
कायदे की बात, कौन समझाए मगर
खौफ में जी रहा सारा शहर
दुरियाँ बढ़ रहीं,
ये किसने कह डाला
आज भी हम बाँटते हैं
एक कटोरी चीनी और ग़म का प्याला
काश फैले ये बात, अफवाह बनकर
खौफ में जी रहा सारा शहर
एक अच्छी खबर हम भी
चलो कानों-कान सुनाएँ
गलती का अहसास हो
फिर गले मिल जाएँ
नफरतों की आँधियाँ, गर जाएँ ठहर
खौफ से उबर जाए, मेरा शहर।