कहानी...
कहानी...
ना कर अब तू फिर मनमानी ,
है उसे खुुद को इंसाफ दिलानी..
पी कर इस गंगा का पाानी ,
है बनी वो झांसी की रानी....
मुश्किल है अब जली आग बुझानी ,
है उसे अब दुुुनिया की सोच सुलझानी...
दे लाख फिर तू झूटी जुबानी ,
है तुझे अब शिक्षा कठोर दिलानी....
पृथ्वी को फिर से करके सयानी ,
है अच्छी सबकी नियत बनानी....
होगी पूरी जिकर जब ये कहानी ,
गर्व से सबको है सुनानी....