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Sobhit Thakre

Inspirational Others

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Sobhit Thakre

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खामोशी

खामोशी

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मेरी खामोशी भी

मुझसे कहती है।

इतनी शांत इतनी मौन

तू क्यों रहती है।

जो तेरे अन्तर ह्र्दय से

गुजर जाया करते हैं।

क्या वे भी तेरे अश्रुओं से 

कुछ नहीं कहते हैं।


तू जो रूठ कर 

इस तरह बैठी है।

मनाने की हद भी

खत्म हो बैठी है। 

न रह यूं मौन तू

कुछ तो कह, कुछ तो सुन।

अपने सुनहरे ख्वाबों 

को बना जीवनमयी धुन।

होगी नव भोर भी 

तोड़ ख़ामोशी को

मंज़िल पाने नई राहों को चुन।



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