कच्छ
कच्छ
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सफेद चादर सा रण है यहाँ का,
सुंदरता बेशुमार है।
अज्रख, बांधनी, बाटिक, बेला से
रंगीन कपड़ो की बौछार है।
मांडवी का वो विशाल दरिया,
सौंदर्य विजय विलाश का।
भूमि है भक्तो यह जो,
घर महादेव कोटेश्वर का।
हिन्दू-मुस्लिम का बटवारा नहीं ,
ना ऊंच-नीच का भेद कोई।
इस धर्ती पर सब समान,
और एक दूजे के भाई सभी।
यहाँ, कण कण मे कला बसी है,
बेहतर हवा मे महनत का रंग।
संगीत दौड़ता है राग्गो मैं,
छाई खुशाली है सबके संग।
यह है कहानी कच्छ की,
जिसका गौरवशाली इतिहास है।
सदियों पुरानी परंपराए
यहां आज भी सबको याद हैं।