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Charvy Shah

Abstract

4.6  

Charvy Shah

Abstract

वी आर वन

वी आर वन

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मज़हब के नाम पे तूने सब बदल दिया

इंसानियत को भूल,

तू हैवान बन गया।

तेरे लिए वो भगवान है,

मेरे लिए वही खुद,

नाम का फर्क है भाई,

तूने तो उसका ईमान बदल दिया।


लड़ता रहा तू उसे,

लगाना था जिन्हें सीने से।

एक मुल्क में रहते भाई थे 

पर तूने रिवायत के नाम, ज़हर घोल दिया।


मोहब्बत से हाथ पकड़के,

चलना था साथ हर कदम पे।

तूने नफरत से तलवारें उठाली,

उस दिन तेरे अन्दर का इंसान मारा गया।


वो मंदिर तेरा हुआ,

यह मस्जिद मेरा बोला गया।

गल्ली मोहोल्ले को छोड़, 

तूने तो खुदा को ही बाट दिया।


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