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Saumya Sharma

Tragedy

3  

Saumya Sharma

Tragedy

कभी तो रात ख़त्म होगी

कभी तो रात ख़त्म होगी

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कभी तो ख़त्म ये रात घनघोर होगी

कभी तो वो प्रभात वो भोर होगी  


कभी तो आक्रोश की हिलोर आएगी

कभी तो वो आंधी झकझोर जायेगी


कब तक बेटियां पिसी कसौटी के पाट में जायेगी

कब तक बेचीं वो कोई वस्तु सी हाट में जाएगी


कब तक लकीर चिंता की लिख ललाट में दी जाएगी

कब तक ज़िन्दगी उनकी बंद एक कपाट में की जाएगी


कब तक यूँ ही भ्रूण में बेमौत मारी जाएगी

कब तक यूँ ही बचपन में ही ब्याही जाएगी


कब तक यूं हाय एसिड अटैक मे झुलसती जायगी

कब तक यूँही देस मे कई निर्भया बनती जाएगी 


कब तक यूंही दहेज़ की आग में जलती जाएगी 

कब तक युहीं अपमान क घूँट पीकर सहती जाएगी


ना जानेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे कब तक इनकी आवाज़ दबाई जाएगी

ना जाने कब तक इस जुल्म की सुुुुुुुनवाई की जाएगी  


ना जाने कब ख़त्म इनकी यह वेदना होगी 

जानेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे कब लोगों को इनसे संवेदना होगी 


कभी तो ख़त्म ये रात घनघोर होगी

कभी तो वो प्रभात वो भोर होगी ।



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