कभी कभी
कभी कभी
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कभी तो बात लिखते हैं
कभी तो शान लिखते हैं
इरादे सब ही हैं पक्के
सभी जज्बात लिखते है
ये कलम नहीं डरने वाली
जो डर डर कर लिखते हैं
किसी का राज़ लिखते हैं
किसी का घात लिखते हैं।