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अच्युतं केशवं

Abstract

4.0  

अच्युतं केशवं

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कब नदी की धार

कब नदी की धार

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कब नदी की धार रोकी है, नदी के कूल ने।

क्या परीक्षा तितलियों के प्यार की ली फूल ने।

अनुभवों ने सीख के,दीवट जलाये ही रखे।

प्रेमियों ने पूर्णता मानी, सदा ही भूल में।



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