कैसी उलझनों में
कैसी उलझनों में
कैसी उलझनों में है ज़िन्दगी
आज ज़िन्दगी जीभर जी लेने दो
ना जाने कब ये ज़िन्दगी रहें
ना रहे, इस जिंदगी को अब
ख़ुद ही ख़ुद से जीभर लेने दो
दो वक्त की ये जो सूरज की किरणें
इन्हें भी अब जिंदगी में जीने दो
हम रहें ना रहें पर इन्हें हमेशा
उग जाने और ढ़ल जाने तक
अपनी जिंदगी में जीभर देख लेने दो।