STORYMIRROR

Rajesh Kumar Singh

Tragedy

4  

Rajesh Kumar Singh

Tragedy

कैसे भूलू तुझे

कैसे भूलू तुझे

1 min
881

कैसे भूलू तुझे, अब तुही बता दे मुझे।

पहली नजर पड़ते ही, दिल ने जिसे अपना माना,

साथ जिने और मरने के शुरु कर दिए इसने सपने सजाना।

इस विरान जीवन में तेरी दोस्ती पाने के लिए,

मासूम से दिल ने कई झूठ बोल दिए।

न भूल जाऊ उन लम्हों को जो बीते थे दोनों के बीच,

याद तेरी आते ही, देता हूँ मैं अश्रुओं से सींच।

कैसे भूलू तुझे, अब तूही बता दे मुझे।


जो मंदिर भी ना गया कभी,

तुझे मांगने मस्जिद और चर्च जाता है अभी।

जो रहा न एक पल भी भूखा,

रोजा भी रखता है अभी।

जो किया इबादत न खुदा की,

तेरी वंदना अब है करता।

कैसे भूलू तुझे, अब तुही बता दे मुझे।


अजीब सा था मेरा भी प्यार,

न मैंने इकरार किया, और न उसने इनकार।

वो भी क्या दिन थे, एक पगली उदासी की वजह पूछा करती थी,

खुद जवाब हो कर सवाल किया करती थी।

हाँ ये सच है, कि जीवन में मेरे तू पहला प्यार नहीं,

पर सच तो ये भी है कि, बाद तेरे इस दिल को कोई और गवार नहीं।

एक आखिरी बार तुझसे झूठ ये दिल बोलेगा,

तेरी यादों के साथ इस हसीन चेहरे को भी भूलेगा।

फिर नहीं पुछेगा तुझसे ये बात,

कैसे भूलू तुझे, अब तुही बता दे मुझे।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy