काश..
काश..
अपने रब से हमने हरबार
यही दुुुवाँ की हैै,
काश कोई राह मिल जाए
जो तुम तक ले आए
कब तक यूँ ही तनहा भटकते रहेंगे
अपनों की भीड में तनहाई सहते रहेंगे..
डर है कहीं ऐसे ही मर तो ना जाएंंगेे
लगता है अब तुम बिन और जी ना पाएंंगेे..
मरने से तो नहीं डरते
मगर डर है,
तुमसे वो आखरी मुलाकात का वादा
कहीं अधुुरा ना रह जाए..
काश कोई राह मिल जाए
जो तुम तक ले आए।
