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Amrita Sinha

Tragedy

4.4  

Amrita Sinha

Tragedy

जवानों की देशभक्ति

जवानों की देशभक्ति

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वो सांझ में आया कंधे पे, 

बेजान पड़ा तिरंगे में

जो ग़ुलाब सुबह से ताक में थे,

अब चौड़ी छाती पे ठाठ से थे।


सुबह गुड़िया उनकी सो रही थी

मत्थ चूम वो निकल पड़े बस,

दहल गया वो सांझ का मौसम 

वो पिता देख दहाड़ उठी जब।


सुबह ५ फूट की माप ऊंचाई, 

ले ३० इंच का सीना वो

रेहमत ले निकला घर से,

मां का था एक ही बेटा वो।

जब सांझ को साथी घर को आये,

पुर्जों में वो बेटा लाए,

मां ढूंढ रही थी आंचल अपनी

बटोरने उन टुकड़ों को।



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