जुदाई
जुदाई
जो आंसू बन के गिरता था,
वो जज्बात थे मेरे।
मैं तुम्हारा हो कर भी तुम्हारा ना हुआ,
वो हालात थे मेरे।
आखिर क्या कमी रह गई मेरे प्यार में
जो अब हम जुदा हो गए,
ऐसे ही बहोत सारे सवालात थे मेरे।
तुम्हारे हिस्से में तो हमेशा
खुशियों की धूप थी,
जो रह रह के बरसते रहे
वो गमों के बरसात थे मेरे।