चलते जाना है....
चलते जाना है....
ना रास्ते हैं और ना
मंजिल का कोई ठिकाना है,
धूप-छाव सी है जिंदगी
बस चलते जाना है।
ना ग़म है और ना
खुशियों का कोई ठिकाना है,
धूप-छाव सी है जिंदगी
बस चलते जाना है।
दर-बदर की ख़ाक छाना
ख़ुशियों की तलाश में,
गैरों को गले लगाया
अपनेपन की आस में।
टूटे सारे भरम है और
झूठा सारा फ़साना है,
धूप-छाव सी है जिंदगी
बस चलते जाना है....
बस चलते जाना है....