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Ayush D

Tragedy

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Ayush D

Tragedy

जताना नहीं चाहता ..

जताना नहीं चाहता ..

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कहतें हैं कि पिता दुख जताना नहीं जानता ,

परन्तु वह तो दुख जताना नहीं चाहता!


नौकरी की कोई बात उसे सता रही है,

बेटी बाहर टहलनें के लिए रोती जा रही हैं ।

ख़ुद के गमों को पराया कर ; बेटी के साथ टहलनें जाता,

परन्तु वह तो दुख जताना नहीं चाहता!


हफ़्ते का सबसे प्यरा दिंन होता है उसके लिए रविवार,

जब परिवार के साथ होती हैं मस्तियाँ दो-चार ।

घर की खुशी के लिए जान दांव पे लगा आता ,

परन्तु वह तो दुख जताना नहीं चाहता!


खुंन-पसीने की कमाई से घर की चार दिवार बनाता ,

कभी-कभी अपनी मां के कंधों पर सर रखकर बैठ जाता,

कहतें हैं कि पिता दुख जताना नहीं जानता ,

परन्तु वह तो दुख जताना नहीं चाहता!



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