जो साथ चलोगे
जो साथ चलोगे
जो अगर साथ चलोगे, बाजी जीत जाये,
मेहनत रंग लाएगी, दुनिया भी गीत गाये।
कदम से कदम मिलेगा, बन जायेगी बात,
उभरेगी नई छवि तब, उसे मन में बसाये।।
जो अगर साथ चलोगे, उदाहरण बन जाये,
गम की दुनिया बड़ी, उसमें भी हम हँसाये।
कांटे पड़े हो राह में,आगे बढ़ उनको उठाये,
गिरते हुये पथिक को, उठा नई राह दिखाये।।
जो साथ चलोगे,हम देते रहेंगे तुम्हारा साथ,
गिरने नहीं देंगे,थामें ही चलेंगे तुम्हारा हाथ।
दिखाई है जो गुरुओं ने राह, चलते ही जाये,
एकता में बंधेंगे,चाहे बदल जाए जग हालात।।
जो अगर साथ न चलोगे, मंजिल हो जा दूर,
थके हो से लगेंगे, मंजिल तक हो चकनाचूर।
अपनी मंजिल को हर मुसाफिर, करता पूरी,
पहुंचते जब मंजिल पर, दाता का मिलेगा नूर।।
जग में हैं सभी मुसाफिर, चलना ही पड़ेगा,
अपने कर्मों का फल तो, यहीं भरना पड़ेगा।
सोच समझकर चलना, राह में मिले अंधेरा,
वो दाता ही रखता टेक, दुख दर्द भी हरेगा।।
जो अगर साथ चलोगे, तो साथ ही निभाना,
छोड़ा अगर साथ तो, ताने देगा यह जमाना।
दोस्ती अगर करनी हो, सौ बार लेना सोच,
दोस्ती में नहीं धोखा,नहीं पड़े मार निशाना।।
खाली हाथ आये हो, फिर खाली ही जाना,
जालिम बड़ी दुनिया है,जालिम यह जमाना।
सांझ और सवेरे एक दिन,मिलता जग धोखा,
कुछ लोगों की आदत बनी,तकते रहते मौका।।
जो साथ चलोगे नहीं तो,कोई यहां न पूछेगा,
एक एक करके गिरोगे, जमाना तुमको लूटेगा।
आओ अब तो सबक ले, मिलक चलेंगे हम,
मंजिल लगेगी पास तो, मिट जाएंगे सब गम।।
