जंजीरें को तोड़ती बेटियां
जंजीरें को तोड़ती बेटियां
जंजीरों को तोड़ती बेटियां,
बेड़ियों को तोड़ती बेटियां।
जिस बेड़ियां को हंसते हुए हम पहनते है,
उस बेड़ियां को हंसते हुए हमें तोड़ना हैं।
बचपन में ही हम बेटियां को,
चूड़ियाँ कहकर हथकड़ियाँ पहनायी जाती हैं।
पायल कहकर बेड़ियां पहनायी जाती हैं।
जंजीरों में हमें बांध दिया जाता है,
बेड़ियां हमें पहना दिया जाता है।
चलने से पहले ही हमारे पैर तोड़ दिए जाते हैं,
उड़ने से पहले ही हमारे पर कतर दिए
जाते हैं।
हम बेटियों को बेड़ियां पहनने आता है,
हम बेटियों को बेड़ियां तोड़ने भी आता है।
अब और नहीं हम मौन रहेंगे,
अब और नहीं हम सहेंगे।
कब तक हमारे सपने तोड़े जायेंगे,
कब तक हमारे पर कतरे जायेंगे।
बेड़ियां पहनाओ या हथकड़ियाँ ,
पैर तोड़े या पर कतरे।
तोड़ कर सारी जंजीरे,
छोड़ कर सारी मुश्किलें।
सपने पूरे कर लेंगे हम,
मंजिल को पा लेंगे हम।
