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Rashmi Jain

Abstract

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Rashmi Jain

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जंगल की एक सैर

जंगल की एक सैर

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चले ले चलूँ तुझे जंगल की एक सैर कराने 

वन में बसे जीव–जंतु से मिलाने 


कहीं शेर की दहाड़

कहीं नागराज की पुकार

कहीं भेड़िए की चीख

तो कहीं हाथी की चिंघाड़


कहीं भालू पेड़ों के पीछे से गुर्राया 

कहीं बंदर ने ली एक छलांग और ज़ोर से चिल्लाया

कहीं छोटा सा मेंढक पानी के बीच टरटराया 

तो कहीं मगरमच्छ मुंह खोले घुरघुराया 


पंछी यहाँ पहली किरण की खबर लाएँ 

रात में वन जुगनुओं की रोशनी से जगमगाए


और भी है कई क़िस्से 

छिपे इस जंगल की शोर में 



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