जल ही जीवन है
जल ही जीवन है
अमिय समाहित बूँद बूँद में,
प्रकृति का आशीर्वाद है जल।
जिंदगी का मूल, धरती की संपदा,
जीवन का अप्रतिम स्वाद है जल।
कभी वरदानों सा बरसे नभ से,
कहीं नदी जलाशय नयनभिराम।
पक्षी पौधे हर जीव आश्रित,
बिन जल के कहाँ बचेंगें प्राण?
अंधाधुंध कट रहे पेड़ हैं,
नदियों में जहर, नल गए हैं सूख।
कचरा भर दिया समुन्दर में,
ये कैसी आधुनिकता की भूख?
हर बूँद कीमती इसे बचाएँ,
जल संरक्षण का अब हो संस्कार,
न दूषित हो न बरबाद करें,
अपने भविष्य को दें ये उपहार।।