ज़िन्दगी की तलाश
ज़िन्दगी की तलाश
ख्वाहिशें हजारें हैं, कभी ना खत्म होते हैं
आज जो जरूरत है, कल क्यूं वह बेकार है
क्या खुश नहीं है तू उसे, जो कुछ तुम्हारे पास है
ये कौन सी है ज़िन्दगी, जो तुझको यूं तलाश है
क्यूं अपनों से तू दूर है, ना ही उनका फिक्र है
प्यार सी दो लब्ज़ क्यूं, उनके नसीब में ना है
क्या ये तेरी फितरत में है, या ये नई दस्तूर है
ये कौन सी है ज़िन्दगी, जो तुझको यूं तलाश है
सफलता की बुलंदी पे, तू सबको क्यूं ठुकरा ता है
राह पे जो साथ थे, ओ आज क्यूं लाचार है
पल भर की ये है आरज़ू, तू इतना क्यूं इतराता है
ये कौन सी है ज़िन्दगी, जो तुझको यूं तलाश है
जिस दौलत से आज घमंड तेरी, सदा किसिका रहा ना है
ज़िन्दगी के बाद तो, इस मिट्टी में ही सिमट जाना है
चार कंधों के बिना तो मौत भी बेकार है
ये कौन सी है ज़िन्दगी, जो तुझको यूं तलाश है
नफ़रत के साथ छोड़ के, दिल में प्यार बसाले तू
एहसास करले अपनों को, समझ ले उनकी अहमियत को तू
मजबूत हो रिश्ते अगर, मज़बूरी में क्यूं जीना है,
दूसरे का साथ देना, यही तो जीवन की रीत है
कर ले इनकी बंदगी, ज़िन्दगी की ये बुनियाद है
बनाले इसी को ज़िन्दगी, इसी का ही तुझे तलाश है।
