STORYMIRROR

sunil kumar panda

Inspirational Others

4  

sunil kumar panda

Inspirational Others

मज़दूर

मज़दूर

1 min
280

इस मिट्टी के हम बने हुए

इस मिट्टी में ही पलते हैं

तकदीर हमारी रूठी है

पर औरों की हम लिखते हैं


अपने सपने भूल के हम 

लोगों के सपने सजाते हैं

जीवन की खेल यह निराली है

दो वक़्त की रोटी ना मिलती है


हम रोते हैं, फिर संभल ते हैं

पर हाथ कभी फैलाते नहीं

मजदूर है हम, मजबूर नहीं

मजदूर है हम, मजबूर नहीं


अपने वजूद की कोई खोज नहीं

इस भीड़ में कोई पहचान नहीं

उन्नति की बुनियाद है हम, पर

अपनी प्रगति नसीब नहीं


धूल मिट्टी से रंगते है रोज

धूप छांव की हमे फिक्र नहीं

दुनिया की गन्दगी साफ करे हम,

अपनी गंदगी की अंथ नहीं


ढूंढते है अधिकार हमारा

जीवन ये पूरा संघर्ष ही सही

मजदूर है हम, मजबूर नहीं

मजदूर है हम, मजबूर नहीं


भुजाएं हमारा शस्त्र है

नव निर्माण की यह सूत्र है

मेहनत ही हमारा धर्म है

नई आशा की परिभाषा है

बनेंगे मिशाल इश भारत की


इरादे हमारा बुलन्द है

"हार जायेंगे जीवन की खेल में"

इतना भी हम कमजोर नहीं

देना भी पड़े बलिदान अगर

जीवन में ना होगा अब्सोश कोई


मजदूर है हम, मजबूर नहीं

मजदूर है हम, मजबूर नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational