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sunil kumar panda

Inspirational

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sunil kumar panda

Inspirational

मंज़िल

मंज़िल

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अंजानी राहों पर निकल पड़ो

नई राह अगर दिखाना है

मंजिल तक अपने बढ़े चलो

रास्ते पे कहीं ना रुकना है।


बंद आंखों से जो सपने सजाए

खुली आंखों से कर दिखाना है

दूर खड़ी अंधेरों से भी

आशा की किरणे चुराना है।


हाथों की लकीरों पे लिखा हो ना हो 

खुद पे भरोसा करना है

मान लिए तो मुश्किल होगा पर

ठान लिए तो आसान है।


खुद की राह बनाना सीख लो

दूसरों की तरिकें पुराने है

भटकने का डर तो होगा ही

पर इस डर से हमें ना रहना है।


कांटे तो हजारों होंगे सही 

उन कांटों को निगल कर चलना है

साथ कोई चले ना चले

मंजिल पाके ही अब रुकना है।


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