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BIKRAM NAYAK

Inspirational Others

3.1  

BIKRAM NAYAK

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जिंदगी की राह

जिंदगी की राह

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जिस राह पर

हर बार मुझे

अपना कोई

छलता रहा।


फिर भी

न जाने क्यूँ मैं

उसी राह पर

ही चलता रहा।


सोचा बहुत

इस बार

रोशनी नहीं

धुँआ दूँगा।


लेकिन मैं दीपक

था फ़ितरत से

जलना था

जलता ही रहा।


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