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akashdeep arora

Abstract

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akashdeep arora

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जिंदगी का तराजू

जिंदगी का तराजू

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एक बगल में खौफ का गुमसुम अंधेरा,

एक बगल में रोशिनी सी झिलमिलाए,

एक बगल में बेबस हूं मैं डूबता सा,

एक बगल में कश्तियां मुझको बुलाये,

एक बगल में गुदगुदाती सी हँसी है,

एक बगल में सिसकियां मुझको रुलाये,

एक बगल में ख्वाब पूरे होते देखे,

एक बगल में अपने सपने खुद जलाये,

एक बगल में हर कदम पर है सफलता,

एक बगल में हार ने माथे झुकाये,

एक बगल में अकेला सा तन्हा खड़ा हूं,

एक बगल में तू खड़ी सीने लगाए,

एक बगल में मै ने तुझको पा लिया है,

एक बगल में आज भी हम हैं पराये,

एक बगल में पास मेरे जिंदगी है,

एक बगल में मौत है सीने लगाए,

तराजू के इन पलड़ों में सिमटी जिंदगी है,

कौन सा पासा, कब भारी हो जाये।



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