जिंदगी का सबूत
जिंदगी का सबूत
दिल की चौखट पे एक आहट से
जिंदगी तेरे सबूत मिलने लगे हैं
हां एक अरसा ज़रूर बीता है
पर ये भी खुशकिस्मती की बात है।
नक्श साफगोई से बनते अब
मुस्कुराहट की रोशनी में तुम्हारी
की हाथों की लकीरों में अब
रस्ते आसान लगने लगे हैं।
तुम्हारी ख्वाहिशों के समंदर में,
अक्स गहराईयों के बनते हैं
की डूब जाने के अब
बहाने हजार बनते हैं।
कोशिशों की इस दुनिया में तुम्हारी
कुछ न कुछ कमाल रोज़ होते है
की चुप रहो तो आंखें
बोलने पे दिल बात करते हैं।
आंखों की डेहरी पे एक आमद से
किरचे सिमटने लगी है अब
हां एक सपना ज़रूर टूटा था
पर ये भी खुशकिस्मती की बात है।