STORYMIRROR

Aditya Prakash

Inspirational Others

4  

Aditya Prakash

Inspirational Others

जिंदगी: एक संघर्ष

जिंदगी: एक संघर्ष

1 min
225

मुझे ना कोई आशा है

और ना ही मैं उम्मीद रखता हूँ,

दूसरों के आगे गिड़गिड़ाने से बेहतर

मैं खुद के पैरों पर खड़े हो जाना चाहता हूँ


चाहत तो थी कि मैं दुनिया फतह करूँ

पर अपनी भी कुछ कमजोरियाँ हैं,

जिंदगी की इस भाग दौड़ में,

टिक ना पाता हूँ मैं,

इस अजनबी-सी जिंदगी से

कई बार धोखे मिल चुके हैं मुझे


कुछ सोचा था, कुछ विचारा था

मन में बहुत-से षड्यंत्र थे,

गढ़ गढ़ कर षड्यंत्र मैं

जीतना चाहा जिंदगी को,

पर जितना जीतना चाहा मैं

उतना ही मैं हारता गया जिंदगी को,

बीते समय को क्यों याद करूँ?

वक्त अपना क्यों यादों में बर्बाद करूँ?

माना समय बीत चला,

पर इतना भी नहीं बीता

कि मैं जीत ना सकूँ,

जीतने के लिए है संघर्ष जरूरी,

जीत का आनंद लेने के लिए है कष्ट जरूरी,

है मैंने किए संघर्ष बहुत

इसलिए मैं हूँ निश्चिंत

अपने विजय के लिए


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational