जिंदगी दांव पर है
जिंदगी दांव पर है
कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है।
दूर बैठा कोई सोचे वो सवार दो दो नाव पर है।।
विश्वास भी क्या चीज है लोगों जो पलती सुख छांव पर है।
कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है।।
सावन भर हरा रहा पतझड़ देख घबराया मन।
आंख की असलियत देखिए सुख दुःख दोनो में नम।।
आंख के पानी से डूबा हुआ हर कहानी गांव पर है।
कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है।।
तुम्हें परखता हूँ विश्वास पर,अपना पड़ला हमेशा भारी।
अपने दुख में संजीवनी ढूँढें, दूसरे पर दुख हमेशा प्यारी।।
रमा हुआ है राम धुन ,हमें दुख बस दुराभाव पर है।
कहाँ वो पत्थर की मूरत और जिंदगी दांव पर है।।
