जीवन
जीवन
यह जीवन है कितना आनन्दमय
हमे सम्भल सम्भल कर है चलना
पग पग पर है धोखा
देख देख पग है धरना। ।
इस जीवन मे देख देख कर चलना है
कभी धोखा नही खाना है
जो पथ बदल गया तो
जीवन सुखमय नही कर पाना है।।
इस जीवन मे उलझने आती रहती है
उनसे घबरा कर नही डरना है
जो घबरा गये उलझनो से
जीवन सफल ना कर पावोगे। ।
इस जीवन मे हमे जो मिला है
उसमे ही सन्तुष्ट रहना है
जो जीवन मे सन्तुष्ट नही
नया मिलने पर क्या सन्तुष्ट होगा।।।
इस जीवन मे सन्तुष्टी ही आनन्द है
जो सन्तुष्ट नही वह दुख पाता है
प्रेम लखन कहे यह जीवन ईश्वर की देन है
इसी मे हमेशा सन्तुष्ट रहना है।।