Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Jitendra Kapoor

Abstract

3  

Jitendra Kapoor

Abstract

जीवन-संग्राम

जीवन-संग्राम

1 min
427


डटे रहना राह के पथिक

          के मंजिल अभी दूर बहूत है।

घना अंधेरा, राह में रोड़े

       गुलाबो से झांकते, शूल भरपूर बहूत है।

पग पग पर खड़ी सुरसा

        आत्मा में तेरे बजरंगी सा नूर बहूत है।

कदम ज्यों ज्यों बढ़ेंगे मंजिल को

      कंटक बन फूल, चुभन को चूर बहूत है।

हँसी तमाशा भी बनेगा तेरा

      सहना होगा तुझको, दुनिया क्रूर बहूत है।

यहाँ न रुक, और आगे बढ़

       तुझे गिराने दुनिया मसरूर बहूत है।

बढ़ा कदम, ताल से ताल मिला

      भाग्य को, मेहनतकश पर गुरूर बहूत है।


क्यूं सोंचना कल क्या होगा

तेरा आज ही कल का स्वरूप इतना बहूत है।


गर जाना निज की शक्ति को

चरणो में हिमालय मन में दहकता सुरूर बहूत है।


कल तक थे जो बैरी सारे

हो समर्पित, चरणधूली पाने को आतूर बहूत है।

        



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract